Tuesday, September 26, 2023

अर्बन नक्सल . .

 काश 

काश तुम में 

थोड़ी  तो अकल होती 

थोड़ा विवेक होता 


तो तुम भी देख पाते 

सच्चाई 

वामपंथी नैरेटिवों से परे 

देख पाते कि जहाँ और भी है 


काश तुम भी जमीन से जुड़े होते 

तो यूँ  वातानुकूलित वातावरण में बैठ 

गरीबी, रोटी , संघर्षों को 

चुराई हुई कविताओं के माध्यम से 

रोमैंटेसाइज नहीं करते,

 

कुछ ठोस काम करते 

धरातल पर 


पर शायद ऐसा नहीं हुआ 

तभी तुम इतने अंधे हो 

कि देश की , समाज की 

सच्चाई देखने से 

रोकती है तुम्हारी 

अर्बन नक्सल सोच 

और कुण्ठा ,

और बस 

लगातार दुत्कारे जाने  बाद भी 

लगे  रहते हो 

समाज को बरगलाने में 

फर्जी ख़बरें बनाने, फैलाने में 

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काश तुम्हें थोड़ी अकल मिली होती 

काश तुम में थोड़ी समझ होती 


काश

काश

(संलग्न चित्र में लिखी "कविता" के उत्तर में )
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युगदीप शर्मा 
२६ सितम्बर २०२३ दोपहर ०१:३० बजे , गुरुग्राम में