आदमी २ पाँव ही तो हैं
चलते हैं - दौड़ते हैं
सरकते हैं - घिसटते है।
प्यार से झटकते हैं
गुस्से में पटकते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कभी कीचड़ में जाते हैं
कभी गंगा नहाते हैं
कभी सिर छुपाते हैं
कभी आँखें लुभाते हैं.
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ गरीब कुछ अमीर
कुछ पूजे भी जाते हैं
कुछ मजबूरी में,
तो कुछ जान के
किये नंगे भी जाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ दिन रात खटते हैं
२ बखत रोटी जुटाते हैं
कुछ गुंडई दिखाते हैं
बिना मतलब के ही
लातें बजाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ में बिवाई - जख्म
तो कुछ कारों में जाते हैं
कुछ पैडल लगाते हैं
तो कुछ मालिश कराते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
दिशा हो एक तो मिलकर
कोई आंदोलन कराते हैं
दिशा भटके तो फिर
वो पाँव ही भगदड़ मचाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कहीं घुसपैठ करते हैं
तो कुछ ग़श्तें लगाते हैं
कुछ आतंक करते हैं
तो कुछ गोली भी खाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ मंदिर में जाते हैं
तो कुछ मस्जिद में जाते हैं
कुछ बस ताक सकते हैं
सीढ़ी से आगे न जाते हैं
आदमी २ पाँव ही हैं!!!
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युगदीप शर्मा (२१ अप्रैल, २०१४)
चलते हैं - दौड़ते हैं
सरकते हैं - घिसटते है।
प्यार से झटकते हैं
गुस्से में पटकते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कभी कीचड़ में जाते हैं
कभी गंगा नहाते हैं
कभी सिर छुपाते हैं
कभी आँखें लुभाते हैं.
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ गरीब कुछ अमीर
कुछ पूजे भी जाते हैं
कुछ मजबूरी में,
तो कुछ जान के
किये नंगे भी जाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ दिन रात खटते हैं
२ बखत रोटी जुटाते हैं
कुछ गुंडई दिखाते हैं
बिना मतलब के ही
लातें बजाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ में बिवाई - जख्म
तो कुछ कारों में जाते हैं
कुछ पैडल लगाते हैं
तो कुछ मालिश कराते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
दिशा हो एक तो मिलकर
कोई आंदोलन कराते हैं
दिशा भटके तो फिर
वो पाँव ही भगदड़ मचाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कहीं घुसपैठ करते हैं
तो कुछ ग़श्तें लगाते हैं
कुछ आतंक करते हैं
तो कुछ गोली भी खाते हैं
आदमी २ पाँव ही तो हैं
कुछ मंदिर में जाते हैं
तो कुछ मस्जिद में जाते हैं
कुछ बस ताक सकते हैं
सीढ़ी से आगे न जाते हैं
आदमी २ पाँव ही हैं!!!
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युगदीप शर्मा (२१ अप्रैल, २०१४)