Tuesday, February 9, 2016

रूठना ..मनाना.. !!

ये कातिल अदाएं,
ये तेरा मुस्कुराना,
दिल पे खंजर चलाये,
ये तेरा रूठ जाना।

तेरे होठों की लाली,
मेरी आँखों का सपना,
मैं इंतजार में हूँ,
कब कहूँ इनको अपना।

तुम्हारी नजर में,
मेरा अक्स आये,
उस लम्हे को देदो,
भले मेरी जान जाये।

मेरी जान हो तुम,
जो यूँ रूठ जाओगे,
कसम से खुद की,
मुझे जीता न पाओगे।
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युगदीप शर्मा (८ फ़रवरी, २०१६ रात्रि १२.०० बजे )

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