तेर गेसुओं के, घने साए में,
सिर छुपा कर,
जहाँ भूल जाना,
तेरी आँखों में छिपी,
शरारत को पाकर,
दिल का मचल जाना,
तेरे उन सुकोमल-
सुवासित अधरों से,
हँसीं का छलक आना,
तेरी आँखों में खोया-खोया,
मेरा खुद को भूल जाना,
वो सिलसिला,
मिलने मिलाने का,
जमाने से छुप कर,
और हलकी सी आहट पर,
तेरा सिहर जाना,
बंद आँखों से तेरी,
सूरत का दिखना,
खुली आँखों में तेरे,
सपनों का आना,
-------------------
वो भी इक दिन था,
यह भी इक दिन है,
तनहा अकेला सा,
दिल तेरे बिन है,
ना तेरी सूरत,
ना तेरे गेसू,
अब तो ख्वाब का ,
आना जाना भी कम है,
चाहे खुली हों, या
बंद हों मेरी आँखें,
तेरी याद में अब तो
हर पल ही नाम हैं.
तेरी वो हँसीं,
तेरी वो शरारत,
बस उन्हीं यादों में,
खोये-खोये से हम हैं...
खोये-खोये से हम हैं...
खोये-खोये से हम हैं...!!!
************
युगदीप शर्मा (२३ फरवरी-२०११, सां० ५:३०)
No comments:
Post a Comment