Monday, October 1, 2012

बारिश!!! (by युगदीप शर्मा)


(You can see the English translation below:)

बहुत बारिश हो रही है बाहर..
और वो बैठे , हाथों में जाम लेकर,
शायराना अंदाज में, पकौड़ियाँ खा रहे होंगे..

पर आज.. बहुत से घरों के बाहर बैठे कुत्ते,
भूखे ही भौंकते रहेंगे!
वो घर जिन्हें डीजल से.. या
रसोई गैस से कभी साबका
नहीं पड़ा.. आज तक!

वो घर, जिनके लिए.. जंगल से बीनी
लकडियाँ भी गीली हो गयीं...और

आज वो लोग बना रहे होंगे
उस सीली हुई लकड़ी के,
धुंए में ही रोटी की शक्लें.

और शायद उन्ही रोटियों को,
अपने दीदों* से निकलती,
बारिशों के साथ निगल कर ,
सो रहेंगे..अगली सुबह तक
टपकती छत से बेखबर !!

और..उधर वो अपनी खुमारियों
का जश्न मना रहे होंगे...
शायद..मुद्रास्फीति की दर को
घटा-बढ़ा रहे होंगे !!!

*दीदे = आँखें (शायद यह शब्द बृज-भाषा में 'दीदार' शब्द से आया होगा कभी.. )
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युगदीप शर्मा (१ अक्टूबर- २०१२ ई० प्रातः १:४८ बजे)


English Translation:
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Rain..!!! (by Yugdeep Sharma)

It's raining heavily.. outside..
And they would be sitting,
having wine in their hands,
must be eating dumplings ..

but, Today the dogs sitting outside..
those houses,
will bark in hunger!

The houses, who never.. ever had
came to know about,
diesel or LPG!

the houses, for whom,
the timber collected from woods
became too wet ...to light their stoves..

They would be making ​​today
the faces of the breads
in the fumes/smoke..
from that wet wood;

And maybe... ;
they will swallow..those loaves
with the rain ..
Emanating from their eyes
and will sleep..
until the next morning
Regardless of leaky roofs!!

And there...
they must have been celebrating ..
their hangover...
playing with the Inflation rate!!!
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Yugdeep Sharma (1-oct,2012, @ 1:48 am)


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