Wednesday, September 7, 2016

एक बरस और बीता...!!

जीवन की अभिलाषाएं कुछ,
करने-मरने की आशाएं कुछ.
दिवा स्वप्न कुछ,
कुछ सौगंधें.
कुछ छलके पथ पर,
व्यर्थ गए कुछ.
जीवन घट कुछ ऐसे रीता
आखिर एक बरस और बीता !

कुछ तृष्णाएँ- परछाई कुछ
मुठ्ठी में सिमटी रेखाएं कुछ.
कुछ  भाग्य  भरोसे ,
कर्म  किये  कुछ ,
कुछ  मीठे  लम्हे,
कड़वे भी  कुछ.
तिनका तिनका सपने सीता,
आखिर एक बरस और बीता !


कुछ  सुलझे  धागे ,
उलझे  भी  कुछ ,
कुछ घुमड़े बादल ,
बरसे  भी  कुछ
कुछ  राह खुलीं तो,
बंद हुई कुछ
कुछ हारी बाजी, फिर से जीता
आखिर एक बरस और बीता !

*****
युगदीप शर्मा (काफी पहले कभी,शायद २०१३ या २०१४ के जन्मदिन पर ) (फाइनल ड्राफ्ट -  २२ अगस्त २०१६)

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