नहीं जी सकता, मैं तुम बिन अब।
तुमसे जब बातें करता हूँ
कुछ पागल सा हो जाता हूँ
बिना बात क्या क्या कहता हूँ
ख़ामोशी में धड़कन सुनता हूँ
यही सोचता हूँ बस हरपल
बाहों में लूंगा तुमको कब?
नहीं जी सकता, मैं तुम बिन अब।।
तुम्हे रूठना और मनाना
तुमसे हर पल प्यार जताना
बिन बोले सब कुछ कह जाना
तुमको अपनी जान बुलाना
इन सब तरकीबों, बातों से
पूरा प्यार व्यक्त हुआ कब?
नहीं जी सकता, मैं तुम बिन अब।।
कितना प्यार तुम्हे करता हूँ
एक अंश भी गर कह पाऊं
जितने जग में कागद पत्री
उनको भी गर लिख, भर जाऊं
वो सब भी कम पड़ जायेंगे
भाव व्यक्त करूँगा मैं जब।
नहीं जी सकता, मैं तुम बिन अब
*****
युगदीप शर्मा (१६ फ़रवरी २०१६, सायं ८:०० बजे)
तुमसे जब बातें करता हूँ
कुछ पागल सा हो जाता हूँ
बिना बात क्या क्या कहता हूँ
ख़ामोशी में धड़कन सुनता हूँ
यही सोचता हूँ बस हरपल
बाहों में लूंगा तुमको कब?
नहीं जी सकता, मैं तुम बिन अब।।
तुम्हे रूठना और मनाना
तुमसे हर पल प्यार जताना
बिन बोले सब कुछ कह जाना
तुमको अपनी जान बुलाना
इन सब तरकीबों, बातों से
पूरा प्यार व्यक्त हुआ कब?
नहीं जी सकता, मैं तुम बिन अब।।
कितना प्यार तुम्हे करता हूँ
एक अंश भी गर कह पाऊं
जितने जग में कागद पत्री
उनको भी गर लिख, भर जाऊं
वो सब भी कम पड़ जायेंगे
भाव व्यक्त करूँगा मैं जब।
नहीं जी सकता, मैं तुम बिन अब
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युगदीप शर्मा (१६ फ़रवरी २०१६, सायं ८:०० बजे)
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