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Friday, October 11, 2019

आज चलो कुछ और लिखें ...!!! (by युगदीप शर्मा)


कुछ झूठे जज्बात लिखें

या फिर से वो ही बात लिखें।

सदियों लंबी रात लिखें या

जगना बरसों बाद लिखें।


कलमों की चिंगारी से

कागज में लगती आग लिखें

आ चल फिर से कुछ आज लिखें।




गूंगों की आवाज लिखें,

या पंख कटी परवाज लिखें ।

इन शहरी खंडहरों से,

उड़ती इंसानी राख लिखें।


ऊंचे महलों को थर्रा दे,

वह अश्कों के सैलाब लिखें।

आ चल फिर से कुछ आज लिखें।


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युगदीप शर्मा ( दिनांक ८ अक्टूबर, २०१९ , रात्रि ११ बजे , पुणे में )

आलस - नामा...!!! (by युगदीप शर्मा)

पड़े पड़े अब क्या करें , करना है कुछ काम,
या फिर चद्दर तान के , करें और आराम।
करें और आराम, जब तक न मन अकुतावे,
लेटे लेटे हो जायँ बोर, और चैन न आवै।
कहि भैया कविराय, आलसी वही बड़े,
जो चाहे जो हो जाये, रहें बस पड़े पड़े।।

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युगदीप शर्मा ( दिनांक १० अक्टूबर, २०१९, पुणे में )