भिखारियों की लाइन,
रिक्शे-वाले, ऑटो वाले लोग,
कचरे के ढेर से
प्लास्टिक छंटते लोग।
फुटपाथ पे या
झुग्गियों में रहते लोग
मजदूर, या
कूड़ा कचरा उठाते लोग,
लोग
जो मेयर को दिखाने
२ फुट की सीवर लाइन में,
२ किलोमीटर दूर जाके
बाहर निकलते हैं,,
लोग
जो जनरल कम्पार्टमेंट में
विद फैमिली, पंद्रह सौ किलोमीटर सफ़र करते हैं…
लोग
जो बस में खिड़की
खोलने या बंद करने पर लड़ते मरते हैं
या रेलवे टिकट की लाइन में लगे हुए लोग
मेरी अभिजात्यता को आइना दिखाते
इन लोगों से सच में घृणा होती!!
****
युगदीप शर्मा (७ मार्च २०१४, फाइनल ड्राफ्ट १७ फ़रवरी, 2016)
रिक्शे-वाले, ऑटो वाले लोग,
कचरे के ढेर से
प्लास्टिक छंटते लोग।
फुटपाथ पे या
झुग्गियों में रहते लोग
मजदूर, या
कूड़ा कचरा उठाते लोग,
लोग
जो मेयर को दिखाने
२ फुट की सीवर लाइन में,
२ किलोमीटर दूर जाके
बाहर निकलते हैं,,
लोग
जो जनरल कम्पार्टमेंट में
विद फैमिली, पंद्रह सौ किलोमीटर सफ़र करते हैं…
लोग
जो बस में खिड़की
खोलने या बंद करने पर लड़ते मरते हैं
या रेलवे टिकट की लाइन में लगे हुए लोग
मेरी अभिजात्यता को आइना दिखाते
इन लोगों से सच में घृणा होती!!
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युगदीप शर्मा (७ मार्च २०१४, फाइनल ड्राफ्ट १७ फ़रवरी, 2016)
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