Monday, November 12, 2012

बोल ....फिर कभी दीपक जलाएगा??? (by युगदीप शर्मा)


हा हा हा !!
वह साला ...
दीपक जलाने चला था..

भूल गया था की हमें ..
अंधेरों की लत लग चुकी है...
पर वो... चूतिया था....
समझता ही न था...

वो क्या जानता था कि..
हमारी उजालों से फटती है..
हमें अँधेरा ही पसंद है...

दीपक से आँखें
चकाचौंध होने लगतीं हमारी..
फिर कैसे सो पाते हम....
चैन से ...

तभी तो...उछालने लगे थे कीचड ...
उसके उजले दामन पै...
शायद वह कीचड ही ढक देती
उस रोशनी को....
------------
वो पक्का था....धुन का...
निकला था घर से
'खुद' को जला कर
दीपक जलाने को..

हाथ में माचिस भी थी..

तो उसने शुरू किया
कुछ...शैतान के पुतलों से....
जलाने लगा एक-एक कर
उनके महल...

हम थे....
कि घबराने लगे....
रौशनी देख कर...

उसने सोचा होगा कि..
शैतान को जलाने से...
भगवान् आ खड़े होंगे...
उसके पाले में

पर आज कल ..
चढ़ावा गिन कर decide करते हैं
भगवान् भी...
या कि फिर... अब तक..
पड़ चुकी होगी उन्हें भी शायद
इन अंधेरों की आदत ...

इतनी अंधेर-गर्दी में भी...
वो साला चूतिया....
हम को जगाने चला था..
हा हा हा !!
दीपक जलाने चला था..
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कल बुझा दिया...स्साले का दीपक...
हमेशा हमेशा के लिए...
ताकि...कल फिर कोई चूतिया...
दीपक जलाने कि जुर्रत न कर सके...

हा हा हा !! साला चूतिया...!!
हा हा हा !! हा हा हा !!
*********
युगदीप शर्मा (०९ नवम्बर-२०१२)


hahaha
that moron
wanted to lit a candle..

he forgot...
we are addicted to the dark
but he...surely was an asshole
who refused to understand


didn't he know
we are afraid of light
we love the dark

candle would have
a blinding light
then how would we  continue
our deep sleep

that's why...
we started to blame him
perhaps the shadows
would had covered
his bright costume