Thursday, April 9, 2015

मौसमों के मायने...!!!(by युगदीप शर्मा)

लोग
जिनके लिए बरसात की रातें
रूमानी नहीं होतीं।

लोग
जिनके लिए बरसात का मतलब
टपकती छतों या गीली लकड़ियों से बढ़ कर
कुछ नहीं होता।

लोग
जो काट देते हैं रातें
टांगों के बीच बाल्टी रख
छतों से टपकता सैलाब कैद करने को
और सो जाते हैं बेखबर
बिस्तर के उस एक कोने पर
जो कम गीला है।

लोग
जिनके लिए सर्दियों का मतलब
उन शूलों से है
जो
कम्बलों और गूदड़ियों के
छेदों से निकल
भेदते रहते हैं उनके कंकाल

लोग
जिनका हर दिन,
रात काटने की तैयारियों में
और रातें
दिन की उम्मीद में गुजरती हैं

उनकी सर्दियां गुलाबी नहीं
स्याह होती हैं।

लोग
जो हमारे अन्नदाता हैं
जिनके बनाये लत्ते पहन,
जिनकी बिछायी छतों की छाँव में
हम जिनके भाग्यविधाता होने का
दम्भ भरते हैं।

उन लोगों को
लू के थपेड़े सच में बहुत राहत देते हैं।
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युगदीप शर्मा (दिनाँक- १५/१६ मार्च २०१५ रात्रि १२.११ बजे ) (फाइनल ड्राफ्ट - ८/९ अप्रैल २०१५ रात्रि १:४० बजे)