उसने कम्बल से मुंह निकाला, रात अभी भी गहरी थी। एक कंपकंपी के साथ वो उठा। अपना कम्बल बराबर में सोई गठरी को उढा कर, एक बीड़ी सुलगाई, और किटकिटाते दांतो के साथ सड़क के उस पार जलते अलाव की ओर चल दिया।
कम्बल की गर्माहट से गठरी खुल गयी थी।
डिस्क्लेमर-धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
***********
युगदीप शर्मा दिनांक २५ जनवरी २०१७ सायं ५.३० बजे
कम्बल की गर्माहट से गठरी खुल गयी थी।
डिस्क्लेमर-धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
***********
युगदीप शर्मा दिनांक २५ जनवरी २०१७ सायं ५.३० बजे