जीवन की अभिलाषाएं कुछ,
कुछ कर सकने की आशाएं कुछ.
दिवा स्वप्न कुछ,
कुछ सौगंधें.
कुछ छलके पथ पर,
व्यर्थ गए कुछ.
जीवन घट कुछ ऐसे रीता
आखिर एक बरस और बीता !
कुछ तृष्णाएँ- परछाई कुछ
मुठ्ठी में सिमटी रेखाएं कुछ.
कुछ भाग्य भरोसे ,
कर्म किये कुछ ,
कुछ मीठे लम्हे,
कड़वे भी कुछ.
तिनका तिनका सपने सीता,
आखिर एक बरस और बीता !
कुछ सुलझे धागे ,
उलझे भी कुछ ,
कुछ घुमड़े बादल ,
बरसे भी कुछ
कुछ राह खुलीं तो,
बंद हुई कुछ
कुछ हारी बाजी, फिर से जीता
आखिर एक बरस और बीता !
*****
युगदीप शर्मा (काफी पहले कभी,शायद २०१३ या २०१४ के जन्मदिन पर ) (फाइनल ड्राफ्ट - २२ अगस्त २०१६)
कुछ कर सकने की आशाएं कुछ.
दिवा स्वप्न कुछ,
कुछ सौगंधें.
कुछ छलके पथ पर,
व्यर्थ गए कुछ.
जीवन घट कुछ ऐसे रीता
आखिर एक बरस और बीता !
कुछ तृष्णाएँ- परछाई कुछ
मुठ्ठी में सिमटी रेखाएं कुछ.
कुछ भाग्य भरोसे ,
कर्म किये कुछ ,
कुछ मीठे लम्हे,
कड़वे भी कुछ.
तिनका तिनका सपने सीता,
आखिर एक बरस और बीता !
कुछ सुलझे धागे ,
उलझे भी कुछ ,
कुछ घुमड़े बादल ,
बरसे भी कुछ
कुछ राह खुलीं तो,
बंद हुई कुछ
कुछ हारी बाजी, फिर से जीता
आखिर एक बरस और बीता !
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युगदीप शर्मा (काफी पहले कभी,शायद २०१३ या २०१४ के जन्मदिन पर ) (फाइनल ड्राफ्ट - २२ अगस्त २०१६)
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